Pehli Raat – Andar Se Tadap Rahi Thi

पहली रात – अंदर से तड़प रही थी

शादी की पहली रात… एक ऐसा लम्हा जिसका इंतज़ार हर प्रेमी जोड़ा करता है। लेकिन मेरे लिए वो रात सिर्फ इंतज़ार नहीं थी — वो एक बेचैनी थी, एक तड़प थी जो दिल से ज्यादा तन में उतर रही थी।

कमरा गुलाब की खुशबू से महक रहा था, दीवारों पर हलकी सी रौशनी और कानों में बस दिल की धड़कनों की आहट। मैं बिस्तर के कोने पर सजी-संवरी बैठी थी, शर्म और उत्तेजना की गहराइयों में डूबी हुई।

उसने दरवाज़ा खोला... हल्की सी खनक के साथ उसकी नज़र मेरी नज़रों से टकराई। वो मुस्कुराया, और मैं एक बार फिर अंदर से काँप उठी।

उसकी चाल, उसकी आँखें, उसका साया... सब कुछ मेरे रोम-रोम को छू रहा था।

जब वो पास आया, उसकी साँसें मेरे गालों को छूने लगीं। "तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो..." उसने धीरे से कहा।

मैंने उसकी तरफ देखा, पर कुछ बोल न सकी। उसकी उंगलियों ने जब मेरी हथेलियाँ छुईं, तो जैसे दिल की धड़कनें रुक सी गईं।

अंदर एक हूक सी उठी... जैसे सालों की तड़प अब खुद को रोक नहीं पा रही थी।

उसके हाथों की गर्मी मेरी साड़ी के पल्लू को धीरे-धीरे सरकाने लगी। हर फंदा, हर गांठ जैसे खुद-ब-खुद खुलती चली गई।

उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर फिसलीं, और मेरी साँसें तेज़ होती चली गईं। शर्म और चाहत के बीच फंसी मैं, खुद को उसके आगोश में खोती चली गई।

उस रात, जब पहली बार किसी ने मुझे उस तरह छुआ... मैं टूटने और जुड़ने के बीच झूलती रही।

हमारे बीच कोई शब्द नहीं थे, सिर्फ सांसे, सिर्फ नजरें और सिर्फ छुअन। उसकी बाँहों में मैं एक औरत नहीं, एक एहसास बन चुकी थी।

उसने मेरी मांग में सिंदूर नहीं, अपना सब्र भर दिया था।

जब उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए... वो पहला चुंबन नहीं था, वो एक वादा था – साथ निभाने का, संभालने का।

उसके होंठों ने मेरी तड़प को पढ़ लिया था।

वो रात सिर्फ तन का मिलन नहीं थी, वो एक आत्मा की यात्रा थी। हर छुअन, हर स्पर्श, हर सिसकी के पीछे एक कहानी थी – एक लंबा इंतज़ार, एक गहराई से भरा स्पर्श, एक ऐसा मेल जो शब्दों से परे था।

मैं उसके सीने पर सिर रखकर बस इतना सोच रही थी — क्या यही वो प्यार है जिसे लोग 'मिलन' कहते हैं?

जब आंख खुली, सूरज की पहली किरणें पर्दे से छनकर उसके चेहरे पर पड़ रही थीं। वो मुझे देख रहा था, मुस्कुरा रहा था... और मैं फिर से उसके प्यार में डूब रही थी।

"सब ठीक था?" उसने पूछा।

मैंने उसकी उंगलियाँ थामीं और धीरे से कहा — o"अब सब पूरा है..."

प्यार सिर्फ शरीर का खेल नहीं होता। जब दिल से दिल मिलता है, जब तड़प सुकून बनती है, तब पहली रात सिर्फ एक रात नहीं रह जाती – वो पूरी ज़िंदगी की शुरुआत बन जाती है।

वो रात आज भी मेरी रूह में सांस लेती है। क्योंकि उस रात, मैं सिर्फ उसकी नहीं बनी… मैं खुद से भी जुड़ गई थी।

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